भिण्ड में आठ दिन में दो पत्रकारों पर हुए हमले,एफआईआर एक भी नही हुई,सच लिखने का साहस हो रहा खत्म,
भिण्ड में आठ दिन में दो पत्रकारों पर हुए हमले,एफआईआर एक भी नही हुई,सच लिखने का साहस हो रहा खत्म

भिण्ड:जी हां पत्रकारिता एक समाज का आईना होता है जो सच दिखाने के लिए लोगों के पास छोटी से छोटी बड़ी से बड़ी खबरों को प्रशासन तक पहुंचाता है और जनता के मुद्दे हल कराने का प्रयास दी होता है वर्तमान में पत्रकारिता अब कांटे की दीवार बनी हुई है ऐसे में इस पर चलना खतरों से खेलने के सामान दिखाई देता है समाज के जनहित मुद्दे को उठाना भी कभी-कभी पत्रकारों को भारी पड़ जाता है हम बात कर रहे हैं भिंड जिले पत्रकारों की भिंड जिले में पिछले 8 दिन में दो पत्रकारों को सच लिखना इतना महंगा पड़ गया कि दोनों पत्रकार अब वह अधिकारियों के चौखट पर खड़े होते हुए नजर आ रहे हैं उनको डर सता रहा है कहीं सच उल्टा न पड़ जाए आइए बात कर लेते हैं क्या था ऐसा मामला जो पत्रकारों पर भारी पड़ रहा है
पत्रकार चरन सिंह
दरसल भिंड जिले में पिछले 8 दिन में बात करें तो जिले के मालनपुर में पत्रकार चरण सिंह भदोरिया पर शराब माफियाओं द्वारा हमला कर दिया गया हमला की वजह बस इतनी रही कि चरण सिंह भदोरिया शराब माफियाओं के खिलाफ खबरें लिख रहे थे, बस यही उनको महंगा पड़ गया और उनको साथ शराब माफियाओं ने मालनपुर में हमला कर दिया गया,जिसके बाद उन्होंने थाने में शिकायती आवेदन भी दे दिया गया कार्यवाही कुछ नही,
केश -2 भिंड जिले के फूप कस्बे में पत्रकार अजय तोमर के साथ दयाल पब्लिक स्कूल के संचालिका के खिलाफ सच लिखना भी यहां उनको उल्टा पड़ गया दयाल पब्लिक स्कूल पर संचालिका स्कूल को नियम विरुद्ध चलाने की खबर अपने अखबार में लिखी थी,बस पत्रकार अजय तोमर के द्वारा खबर लिखते ही संचालिका को बुरा लग गया और उल्टा पत्रकार अजय तोमर को संचालिका के भाई के द्वारा गाड़ी रोक कर चाबी खींचने का अजय तोमर ने आरोप लगाते हुए बताया मारने तक की धमकी दे दी गई,पत्रकार अजय तोमर को जब लगा कि हमारी जान को खतरा है तो शिकायत फूप थाने में दर्ज करने पहुंचे यहां पर जैसे संचालिका को पता लगा उससे पहले ही स्कूल संचालिका ने राजैनतिक तौर पर दबाव बनाते हुए थाना प्रभारी को एक आवेदन दे दिया ,जिसमें लिख दिया पत्रकार अजय तोमर के द्वारा हम से पैसे की मांग की गई और बदतमीजी की गई जिसके बाद पत्रकार अजय तोमर अब अपने आप को खुद ओर संकट में घिरते हुए नजर आ रहे है।राजनीतिक संरक्षण प्राप्त संचालिका की वजह से पत्रकार अजय तोमर पर झूठा मुकदमा दर्ज करने का प्लान तैयार कराया जा रहा है।
पत्रकार अजय तोमर
क्यों बड़े ऐसे अपराध:
जानकारों की माने तो भिंड जिले में कुछ चुनिंदा पत्रकार ऐसे भी हैं जिन्होंने इस क्षेत्र को बदनाम कर रखा है ऐसे में कलम के सिपाही कहे जाने वाले पत्रकार को अब अपने आप को पत्रकार ना कहते हुए एक व्यापारी का दर्जा लोग देने लगे हैं, इसकी मुख्य वजह यह है कि सच दिखाने के लिए कुछ पत्रकार सच छिपाने की कोशिश अपना ईमान बेच देते हैं, इसकी आग ईमानदार पत्रकार भी चपेट में आ जाते हैं जिससे ऐसे संकटों से घिरना पड़ता है, लेकिन अहम बात यह है पत्रकार भले ही ईमानदार ना हो अगर कोई पत्रकार अपनी कलम बेचकर पैसे की मांग करता है तो उस पर ईमानदारी से वरिष्ठ अधिकारी के द्वारा जांच करके उस पर कार्रवाई की जानी चाहिए कई बार ऐसा देखा गया है मनगढ़ंत आरोप लगाकर झूठी धाराओं में भी एफ आई आर कर दी जाती है जिससे अन्य ईमानदार पत्रकार भी सच कहने से और सच लिखने से डर जाते हैं।