
गरीबी से जूझ रहा एमपी का ये हॉस्पिटल यहाँ एक्सरे फ़िल्म की जगह कागज पर प्रिंट देकर देते है
भिंड जिले सरकारी अस्पताल में मरी अपने बॉडी पार्ट्स के एक्सरे कराने के लिए इसलिए आते हैं ताकि बाजार से कुछ पैसे कम खर्च हो और लाभ भी अच्छा मिले लेकिन जिससे बचाने के लिए लोग सरकारी अस्पताल का सहारा लेते हैं वही सरकारी अस्पताल इन दिनों कंगाली से जुड़ने लगा पताल में डिजिटल x-ray की फिल्म के लिए बजट ना होने की वजह कागज पर प्रिंट देकर एक्सरे कराए जा रहे हैं आइए जानते हैं पूरा मामला
आपको बता इन दिनों जिले के सरकारी अस्पताल में इन ओपीडी संख्या काफी अधिक है ऐसे में कुछ अस्पताल में मरीज एक्सरे कराने के लिए पहुंच रहे अस्पताल में एक्स रे मशीन तो है लेकिन एक्स-रे फिल्म ना होने कारण मरीज को मरीजों की रिपोर्ट फोटो कॉपी वाले सादा ए-4 साइज के पेपर पर दी जा रही है। अब ऐसे में मरीज और डॉक्टर दोनों असमंजस में हैं की आखिर हम रिपोर्ट को कैसे चेक करें, भिंड अस्पताल में यह व्यवस्था काफी दिनों से चल रही है वही जिला अस्पताल सीएमएचओ का कहना है अस्पताल में बजट के अभाव की वजह से फिल्म नहीं मंगाई जा सकती
संक्रमण का नहीं लगता पता:
हड्डी के एक्सरे की बात करें तो बड़े फ्रेक्चर तो कागज पर दिखाई दे जाते हैं, लेकिन माइनर फ्रेक्चर कागज पर दिखाई नहीं देते। इसी तरह जिन मरीजों को छाती में संक्रमण होता है, उनके एक्सरे में संक्रमण नहीं दिखाई देता। इसके अलावा ईएनटी के मरीजों की रिपोर्ट भी स्पष्ट नहीं दिखाई देती। जिस कारण मरीजो को मजबूरन निजी सेन्टर पर कई बार एक्सरे कराने पड़ते हैं। जिसको लेकर आए दिन मरीजों व चिकित्सकों के बीच एक्सरे को लेकर कई बार विवाद की स्थिति भी बनती है।
क्या कहते है सीएमएचओ:
इस मामले में सीएमएचओ यूपीएसस कुशवाहा ने बताया एक्सरे से निकालने वाली किरणे से कैंसर जैसी गम्भीर बीमारी की ओर ले जा सकती हैं, जहाँ तक पेपर पर प्रिंटआउट का सवाल है इससे मरीज भी सन्तुष्ट है कोई परेशानी नही है,बेवजह का खर्च भी नहीं आता. यदि किसी डॉक्टर को इन्हें समझने में परेशानी होती है तो उसे डिजिटल इमेज मोबाइल फोन पर भेज दी जाती है. ‘जिससे उस डॉक्टर को समझने में आसानी होती है।



