शादी के बाद दूल्हा दुल्हन के क्यों होते मोर मोरिया विषर्जन
शादी के बाद दूल्हा दुल्हन के क्यों होते मोर मोरिया विषर्जन

शादी के बाद दूल्हा दुल्हन के क्यों होते मोर मोरिया विषर्जन
भिण्ड, चंबल में शादी के बाद दूल्हा दुल्हन के मोर विर्सजन के लिए मेला वाहनो से लाखों लोग पहुँचकर बोरेश्वर धाम मंदिर के पहले दर्शन करते इसके बाद बड़े ताल में दूल्हा दुल्हन के मोर विर्सजन किया जाता है इस दौरान महिलाए मंगल गीत भी गाती है। मेले में महिलाएं वर-वधु के सिर पर लगा मोर विसर्जन करती इस दौरान महिलाएं मंगल गीत गाकर वर वधु का आशीर्वाद देती है और दोनों की जोड़ी सलामत रखने के लिए शिव जी से आराधना करती हैं.
ज्योतिषो की माने तो वर वधु के सिर ऊपर मोर मोरिया रखने से पति-पत्नी का आपसी मनमुटाव नही होता है,आने वाली नकरात्मक शक्ति का प्रभाव नही पड़ता.शादी होने के बाद मोर का विसर्जन नदी या मंदिर के आसपास तालाब में विर्सजन कर देते है
क्या होता मोर:
बोरेश्वर के पर लाखों महिलाएं मोर सिराने पहुँचती है आइये जानते है इसके महत्व के बारे में.ज्योतिषआचार्य ओमप्रकाश जी बताते है जब वर वधु की शादी होती है उस दौरान सात फेरे लिए जाते है तब वर वधु सिर के ऊपर एक एक मोर के पंख सिर मुकुट ओर लगाते है.मान्यता है कि मोर भगवान विष्णु जी की सवारी है.इसलिये इसे पवित्र माना गया बाल अवस्था मे श्री कृष्ण भगवान के सिर और मोर मुकुट सिर पर धारण किये हुए थे.इसे धारण करने से शरीर पर नकारात्मक शक्ति का प्रभाव नही रहता।