हजारों बीघा जमीन छोड़ भगवान के प्रेम में पागल ये बाबा,पीछे की कहानी सुनकर हैरान होंगे
ये है ध्रुवदास महाराज जमीन हजारों बीघा लेकिन रहने को कुछ नही कहते है सारा जहाँ हमारा करते है पदयात्रा पैदल बडी बात जहां-जहां रुकते हैं, वहां रुकने से लेकर खाने पीने तक का हिसाब-किताब सब डायरी में नोट किया जाता है. यही नही खाने पीने के अलावा अगर किसी ने उन्हें गाली भी दी तो वह भी उसी डायरी में नोट कर लेते हैं.
हजारों बीघा जमीन छोड़ भगवान के प्रेम में पागल ये बाबा,पीछे की कहानी सुनकर हैरान होंगे?
अरविंद शर्मा भिण्ड(संपादक)ये है ध्रुवदास महाराज हज़ारों बीघा लेकिन जीने को कुछ नहीं कहता है सारा जहाँ हमारा करता है पदयात्रा पैदल बड़ी बात जहाँ-जहाँ रुकते हैं, वहाँ अटलांटिक से लेकर खाने तक पीने का होश-किताब सब डायरी में नोट किया जाता है।

उत्तरप्रदेश के साहिर औरैया के रहने वाले ध्रुवदास बाबा पिछले तीस साल से पैदल ही तीर्थ कर रहे हैं. महाराज पूरे देश के मंदिर घूम चुके हैं.आपको बता दु, ध्रुवदास महाराज की मां बचपन में गुजर गई थीं, जिससे उन्हें मां का प्रेम नहीं मिल पाया. लिहाजा, वे भगवान से ही प्रेम करने लगे. फिर इसी उम्र में एक गुरु बनाकर अयोध्या निकल गए, तब से लेकर आज तक महाराज ने घर द्वार सब कुछ त्याग दिया. पिछले तीस साल में धुवदास महाराज ने देश के सारे मंदिर घूम कर तीर्थ कर लिए. इनका आश्रम कही नहीं बना.जहां मंदिर मिल जाता है वही रुक जाते हैं,
सावधान डायरी में लिखते हैं हर बात:
ध्रुवदास महाराज पदयात्रा करते वक्त जहां-जहां रुकते हैं, वहां रुकने से लेकर खाने पीने तक का हिसाब-किताब सब डायरी में नोट किया जाता है.अगर आप उन्हें गाली भी दी तो वह भी उसी डायरी में नोट कर लेते हैं. महाराज वही डायरी मन्दिर पर जाकर भगवान के आगे रख देते हैं. जिसके बारे में अच्छा लिखा है. उसकेपरिवार की भलाई की कामना करते है, और जिसके बारे में बुरा लिखा है,उसे सद्बुद्धि देने की कामना करते हैं.
देश का करते है भृमण:
जिसके पास हजारों बीघा जमीन हो वो भला किसकी चिंता करता,पर धुवदास महाराज माया को छोड़कर पूरे देश का भृमण करते है,हैरानी की बात यह भृमण पैदल ही करते साथ ही लिया हुआ दान भी लिख लेते है डायरी में लोग इन्हें सन्यासी बाबा के नाम से जानते है,